हम आपको है कौन

   हम आपको मानते है
हम आपको पूजते है
हम आपको बहुत चाह्ते हैं
मगर कह नहीं पाते
यह कैसी मज़बूरी है
यह केसा फांसला है
चाहते हुए भी हम इसे मिटा नहीं पाते है
जाने ये कैसे बाँते है
जो मुहँ तक आकर लोटे जाती हैं
अब इसको दिल में नहीं रखा जा सकता
और किसीको इसके बारे में कहा नहीं जा सकता
यह कैसी मुसीबत है
इसका हाल आप ही बता दिजिए

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