प्यार
प्यार कब कैसे हो जाता है
यह किसे पता नहीं चलता है
कभी हवा में इसका एह्सास होता है
कभी फुल में, कभी वादल में तो कभी घटा में
प्यार के जरीए दो दिलों कि कहानी एक हो जाती है
प्यार के कोई रुप होते है
प्यार परमेस्वर का वरदान है
प्यार दिल के अन्दर से निकलती है
प्यार अमिरी ग़रीबी नहीं देखती
नहीं देखती है पाप पुण्य
इसे सिर्फ अपना वजुद देखती है
प्यार एक ही चीज़ है जो हमे परमेस्वर के निकट ले सकती है
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