पैग़ाम

चाहत का जूनून मुझ पर एसे सवार है
उसके सिवा मानों जैसे और कोई चिज़ संसार में नहीं है
चाहत की आग में एसे जल रही हूँ
मानों शमा परवाना जैसा हाल है
चाह्त की सिवा और कुछ नहीं जानता
न खाना और न सोना
यार मेरी एक बात जरुर याद रखना
कभी किसीसे दिल ना लगाना

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