तुम्ही भी तन्हा थे हम भी तन्हा थे फिर भी क्यों न मिले जब मिले तब रूह में तब्दील हो चुके थे तुम्ही भी तन्हा थे हम भी तन्हा थे रूह बन के भी चैन न मिले आधे अधूरे जो थे जाने केसी यह सजा हमको मिले तुम्ही भी तन्हा थे हम भी तन्हा थे
प्यार हुआ भी न भी एसे लगता है दुनिया से हम दूर हो गए सिर्फ तुम्हारे खातिर लेकिन तुमने हमे न आपनाया न किसी और का होने दिया मझधार में हम आज भी खड़े है सिर्फ तुम्हारे खातिर
महफिल भी सजी हुई होगी रंग भी जमी हुई होगी सिर्फ हम न इसका हिसा होंगे तुम्हें मुबारक हो महफिल तुम्हारी सदा खुस रहो दुआ है हमारी मुबारक मुबारक मुबारक मुबारक
हमे न चाहना न समझने कि कोशिश करना हम वह ज्वाला है जो कुछ भी जला सकते और खुद भी जल सकते है तपती आग मैं जल के खरे हुए है हमसे दूरियां ही तुम्हारे लिए सही है
खुले गगन ने चांद और सितारों से कोई परी आसमान से चली आई है है वो कितनी भोली, कितनी प्यारी है कई सारे सपने लेके आई है वह परी रुप सा गुण भी पाई है सब के दिल पर छा गई है दुख को दुर करती है, ग्लानि भगाति है वह परी कौन है, उसका तो नाम क्या उसके बारे में कुछ बतलाइए
मेरे सपनों में हमेसा आती हो रातों की नींद चुराती हो मुझसे प्यारी प्यारी बातों करती हो आख खुलते ही चली जाती हो दिन में कभी नहीं देखा तुम्हें लेकिन मन में तसवीर सी छप गई है मानों तुम्हारे बिना जिबन सुना है एक बार आके मिललो, मेरी परेसानीओंको दुर करलो मेरे मुरादो को पुरा करलो मेरा दिल मुझे लोटादो