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Showing posts from February, 2021

ग्रह मंडराना

चारों तरफ़ मेरे ग्रह मंडरा रहे हैं जेसे में पृथ्वी हूँ और वे चांद. पर इस पृथ्वी को क्या चाहिए उसका एहसास चांद को नहीं है फिर भी वो इर्दगिर्द घूम रहा है.

जुनून

कब क्यों केसे कहाँ यह हुआ हमे पता न चला लोग इसे मोहब्बत कहते है हम इसे जुनून कहते हैं..

भुलाने की कोशिश

तुझे जितना भुलाने की कोशिश करता हूं तू उतनी याद आती है तू मोहब्बत आदत सबकुछ बन चुकी है तुझसे केसे दूर जाओ समझ नहीं आता है.

बेफ़िक्र

जिंदगी एक ही मिलती है इसलिए खुल के बेफ़िक्र हो कर जी लो न जाने यह पल और मिले न मिले.

अनकही अल्फाज़

कुछ अनकही अल्फाज़ कुछ अनसुनी अल्फाज यही तो है मेरे जीवन की पूंजी.

ख़ास

आज का दिन बहुत ख़ास है क्यों कि आज से हम तुम आसपास है.

भगवान

हर वन्दा खुस रहे आबाद रहे हर किसीकी हर मुराद पूरी हो सब के घर में खुशियो की बारिश हो यह प्राथना है भगवान से मेरी

तेरे रंग में

तेरे रंग में रंग चुकी हुं कोई कहता है प्यार है कोई कहता है दोस्ती पर हमे किसी रिश्ते को कोई नाम देना नहीं है इसलिए हम इसे सिर्फ कहते है कुछ रंग एसे है बेनाम रिस्तों की...

गुलाम

हमे मंजूर नहीं किसीका गुलाम बनना कोई हँसकर मांगे तो जान दे देंगे लेकिन गुरूर देकर जी न सकेंगे

दुआ

में सिर्फ तेरे लिए दुआ माँगा है सासें जबतक है सिर्फ तेरी सलामती के लिए सर झुकता रहे उस खुदा के पास.