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Showing posts from June, 2020

आग

हमे मजबूर न करो इतान कि तुमपे साँसें बार दे रूह बन के भि तुम्हे तड्पाए हम वह आग है जो जलते है और जलाते है

तुमसे गुज़ारिश

दुनिया की रचना करने वाले तुमने मेरे साथ यह क्या किया? जिसे में ज्यादा चाहती हूँ उनसे मुझे क्यूँ दुर ले लिया? उनके साथ हर लम्हा गुजरना है उनके बारे में बहुत कुछ जानना अभी बाकी है मेरे सारे सूख को उनको दो उनके सारे दुख को मुझे दे दो उनकी लम्बी उमर के लोए हमेसा करती हूँ दुआ इस दुआ को जरुर तुम पुरा करना सुना है मेंने दुआ में बहुत है सकती तो इन सकतिओं के साहरे मांगती हूँ इतना सदा इन्हें अपने आंचल तले मेह्फुज़ रखना इनको अपना बचा समझकर इनके सारी गलतीयों को माफ करदेना

एक लडकी की कहानी

एक लडकी थी एक लड़के पर मरती थी पर वह उस लड़के से कुछ कह नहीं पाती थी दुनिया से डरती थी पर अपने मन ही मन उस लड़के को चाहती थी उस लड़के के लिए अपना सब कुछ न्याछवर करती थी छुप छुप कर उसके तसवीरों से बात किया करती थी पता नहीं उस लड़के के बारे में और क्या जानती थी लेकिन वह उस लड़के पर दिलों जान से मरती थी

तुम्हरा बदलाव

आजकल तुम बदल गए हो हमसे दुरिया बढ़ा रहे हो सायद अब तुम बड़े हो गए हो इसलिए तुम एसा कर रहे हो चाहे तुम लाख बदलो चाहे तुम लाख दुरिया बढाओ मगर यह दिल हमेशा तुमको चाह्ता रहेगा जब तक इस दिल में धडकन है तब तक यह तुम्हे चाह्ता रहेगा

मुबारक

मुबारक हो तुमको जनम दिन तुम्हारा दुआ करती हूँ भगबान से दुआ करती हूँ लगजाए तुम्हे मेरी उमर मनाना तुम हर साल अपना जनम दिन मगर उसके चौखट पर जाना मत भुलजाना दुआ करती हूँ उनसे दुनिया की सारी खुसियाँ वो तुम्हे दे जितने गम तुम्हारे तकदीर में है मुझे दे तुम्हारे खुसिययों के आगे इस ज़िंदेगि क कोई मोल नहीं अगर तुम्हारे लिए यह ज़िंदेगि को त्याग देती हूँ तो सायद आपके कुछ कर्ज़ को चुका सकती हूँ इसके लिए भगवान मुझे जरुर एक मौका देना

केसी उलझन

जाने कैसी उलझन है यह दिल कहाँ फस गया है यह दिल चारों तरफ फिसल गया है इसे कैसे सुलझाउ में? धागों को सुलझाना आसान है पर य दिलको सुलझाना मुशकिल है कैसे इसे सुलझाओ में कोई इसका राहा बतलादे मुझे कैसे यह उलझन है कोई मुझे समझादे

तुमको भूल नहीं पाई

दिन में खो गई, रातों में खो गई जाने किस जगह में चली गई लेकिन तुमको ना भूल पाई तुम तो एसे समागए हो मानों धडकन में बस गए हो चाहे करो लाख कोसिस पर तुमको ना भूल पाई

मुझे कुछ नहीं पता

क्या में लिखो य मुझको नहीं पता? क्या में लिखो य तुझको हे पता? क्या में करो ये मुझको नहीं पता? लेकिन तुझको है सब पता? है खुदा तूही मुझे कुछ बता?

लौटा दो इनका जवान

मुझे कहनी है कितनी बात तुमसे मगर तुम सुनते रह्ते हो कभी अपना मुँह नहीं खोलते हो कभी कोई सुलझाब नहीं देती हो कैसे आदमी हो तुम इतने गुमसुम कैसे हो तुम किस मिट्टीम के तुम बने हो जो इतना सुनने के बाद चुप है है भगबान इनके मुँह में जवान डालना तुम भुल गए अगर तुम भुलगए तो में तुम्हें याद दिलाती हूँ जल्दी इनका जवान लगा दिजिए मुझे इनसे बात सुननी है कितने सुझाब लेनी है जल्दी से इनकी जवान लगा दीजीए

मेरा जुनुन

जबसे मेने जनम ले लिया तबसे मेने तय करलिया में बनूंगी आपकी तरह चाहे आए कोइ भी वला हर वलाको झेलूँगी हर गम को में सहंगि में तो बनूंगी आपकी तरह आपसे मुझको जाने क्या लगन है आपको हरवाद मुझको पसंद है आपका हँसना, आपका रोना आपकी हर बात मुझे अछी लगती है यह दिल आप पर कुर्बान है आप की तरह में बनना है यह तय मेने करलिया है

आप बिन

आप बिन अब हम क्या करें कैसे इस दिल को समझाए कटता नहीं इकपल आप बिन रो रो कर बुरा है मेरा हाल जब देखो आपकी याद हमें सताती रहती है आपकी तसवीर सामने आती हैं अब सही नहीं जाती दूरियां जलदी से लौट आइए

पलभर में जादु

पलभर में जादु क्या हो गया मानों में जैसे सबकुछ पा लिया आपको देखकर एसा लगा जैसे खोया हुआ कोइ सामान पाया पल भर में जादु क्या हो गया मानों ज़िंदगी क नक्शा बदल गया आपको जो पाया सबकुछ पा लिया मानों इकपल में ज़िंदगी जि लिया पल भर में जादू क्या हो गया मानों आपको पाया तो खुद्को भुल गया

आसमान

आसमान में पंख फैलाना चाहती हुं आसमान की गहराई को नापना चाहती हुं पता है बक्त तो थोड़ा लगेगा पर सपना जरूर पुरा होगा

दिल्लगी

हमें युं न तडपाऔ कि हर शासों से पहले तुम्हे याद करे रूह बनके तुम्हे सताया करे हमसे दुर रहाकरो, हमसे दिल्लगी न करो

प्यासा

क्या तुम्हें पता है अक्सर लबों पे बात आते आते रूक जाती है की तुम से मेरा क्या हो, मेरे दिल के आखिरी आशरा हो, मेरी अनकही प्यास हो

रुह

हम ने मोहाबत कर बैठे इल्ज़ाम का पता न था जब आखें खुली तब खुद को कबर में पाया समझ में कुछ न आया हम इनसान से रूह में तब्दील हो चुके थे...

क्या हो गया

जलने की आदत नहीं थी हमे जलना तुमने सिखा दिआ तडपे कभी नहीं थे हम पर तुमने वह भी सिखा दिआ महफिल में अकेले होने का एहसास भी सिखा दिआ मुझे क्या से क्या बना दिआ..

मेरी तडप

तुझे इतना तडपा देगें ओ भगवान आशु हमारी होगी पर नयन तेरे दुखेगें हम यहां करबटे बदलेगें नीदं तुझे न आएगें खाना हम नहीं खाएगें भुख की ज्ला तुझे महसूस होगें हम देखेंगे हमे तडपाके कबतक तुम चुप रहोगे

प्रार्थना

है भगवान कब मेरी पुकार सुनेगा कब मेरी मुराद पूरी करेगा कब मुझ पर दया होगी तेरी कब तक यूं तडपाएगा

तेरा रास्ता

इस जग में कोई नहीं किसीके बास्ते तुझे अकेले चलना है तेरे रास्ते

तुम्हारा वादा

तुमने कैसे यह वादा किया के तुम मेरे साथ हमेशा रहेंगे मेरा साथ तुम हमेशा निभाओगे मेरे दुख सूख को झेलोगे तुम मुझसे जिबन भर नाता जोडोगे यह सब बात सुनने के बाद मेरे कानों पर मुझे यकीन नहीं होता तुमने कैसे ये वादा किया

हर पल

चाहे रहो में चांद पर या में रहो सुरज के अंदर चाहे रहो धरती पर या में रहो अंबर पर आपसे मिलने को चाहे दिल बेकरार होगा हर पल चाहे मुझे मिले धरती की सारी खुसियाँ या मुझे मिले इन्द्र का आसन फिर भी यह मन रहेगा सदा आपके पास यह सर झुकेगा सदा आपके पास हर पल हर घडी याद करेगा आपको

आपके लिए

आप मुझे मिल गए जो, मानो हर चीज़ मिल गई आप मुझसे रूठेगें तो कैसे जिऊं में अगर कोइ गलती हो गइ है तो सजा दिजिए मंगर मुझसे आप यूँ न रूठिए सब सह पाऊँगी मगर यूँ न रूठना मुझसे बर्दास न होगा इस तरह कैसे जिउंगि में मेरी जगा आप आकर इसको मेह्सुस किजिए

निगाहों

आपसे मिलने को निगाहें तरस गए हैं मिलने से आपका दिल बेकरार हो गया है कब इन निगाहों को आपका दर्शन मिलेगा कब दिल की मुराद पूरी होगी जाने वो दिन कब आयेगा जब यह निगाहें फिरसे चार होंगी आपसे यह दिल फिर मिल पायेगा दुआ करती हूँ खुदा से मेरी मुरादो को पुरा करने के लिए उम्मीद है खुदा इसे जरुर पुरा करेगा

आप

हम तो आपको अपना दिल दे बैठे पता नहीं कब और कैसे यह हुआ फिर भी सोचती हूँ में यह जो हुआ अछा हुआ कम से कम इस तरह से में आपको याद रख पाऊंगी वरना पता नहीं मेरा क्या होता?

लिखने कि कोशिस

क्या में लिखूँ यह मुझको कुछ नहीं पता? कैसे लिखूँ यह भी मुझे नहीं पता आज से पहले तो एसा कभी हुआ नहीं मेरी हाथ कभी इस तरह रुकी नहीं यह क्या हो रहा है मुझे कुछ पता नहीं जाने केसी मुसीबत में मे पड़़गई है भगबान तु इससे मुझे बचा

कुछ बात

देढ़ महीने में आपको मैरी याद एक्बार नहीं आई मेरे जाने के बाद आपको मेरी याद क्या खाक आयेगी एक भी फोन नहीं किया, एक भी चीठी नहीं लिखा आपको मालूम है क्या है मेरा हाल? कितने सारे नए सवाल पढ़ते पढ़ते पाया है उनका हल धुंड्ते धुंड्ते रातों की नींद उड गई है आप जल्दी से मेरे सवालों का हल किजिए आप कह्ते हैं आप कम मिलते हैं में आपको ज्यादा मिलना सिखाऊँगी कम से कम इस छ महीने में आपके मुह को खुलबाउंगि इस तरह आप मुझसे मुँह नहीं फेर सकते मेरी हर बातों को आपको सुनना होगा है भगबान आप इस कार्य में मेरी मदद जरुर करना

आपके लिए

वो लोग धन्य है जो आपको दुनिया में लाए वो भगवान को करती हुँ कोटी कोटी प्रणाम जिसने आपको भेजा है मुझे नहीं मालूम था दुनिया में एसे लोग होते है जो आपकी तरह इतनी गुमसुम होते हैं गुमसुम हो कर भी आप अपनी सारे बात निगाहों से जाहिर करते है सब लोग समझ जाते हैं आपकी बातों की निगाहों से लेकिन में नहीं समझ पाती आपकी बातों को निगाहों से में तो छोटी सी बची हूँ मुझसे क्या सरमाना जो भी दिल में गम या खुसी हो बेधड़क उसे कह्देना अगर गुसे में कभी आपसे बुरा भला कहा है तो उसे भुल जाना हमेसा मुझे आपके साथ रखना कभी अपने आपसे दुर मत करना करती हूँ भगबान से यही प्रार्थना हमेशा आपको मेह्फुज़ रखना

वो कौन?

वो कौन है जो खयालो में रोज़ आता है? जो मेरी नींद चुराता है? वो कौन है जो मेरी चैन चुराता है? हँसी हँसी में कितने सपने दिखाता है? वो कौन है जो हर रोज़ दिल को बेकरार करता है? मेरे दिल को मुझसे छिनने की कोशिस करता है? वो कौन है?

आप बिन

हम हो गए बेकरार आपकि याद मैं हर पल आपकी याद हमे सताति रहति हैएक एक पल आपके बिन मानो दुशबार हो जाती है आप बिन केसे गुजारे यह दिन मानो जिना मुशकिल हो जाता है सोते,जागते,खेलते,हसते आपकी तसबीर दिखजाती है उसे देखने के बाद आपकि याद आती है आप हमे याद करे या न करे हम तो आपको पुजेंगे आपके लिए हम आपनी जान तक बाज़ि लगाएंगे आप बिन जिने का कोइ मतलब नहीं अगर आप हमे आप के कबिल समझते नहीं तो हमे जिने का कोइ अधिकार नहीं