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Showing posts from December, 2019

बिन तेरे सनम

आजा रे आजा सनम अब न मुझको सता अब न सहि जति हे दुरिया आजा रे आजा सनम तुझको है मेरि कसम तेरे बिना मुझको नहीं जिना तेरे बिना नहीं रहना आजा , अब न मुझको सता अब न सह सकेंगे सब कुछ आजा रे आजा सनम ना कर अब देरि ब सहि नहीं जति दुरि तडपाना , तरसाना बहुत हुआ अब खेला नहीं जाता , ज्यादा छुपाछुपी अब आजा रे सनम तुझको है मेरि कसम

बिन आपके

आपने हमसे वादा किया फिर केसे उसे भुला दिया केसे रहेंगे आप बिन केसे आपने एसे सोच लिया जाने यह आपको क्या हो गया ? जाने आपका दिल कहाँ खो गया ? जो आपने किया हुआ वादा भुला दिया यह क्या हुआ केसे हुआ इसके बारे मैं पता कुछ ना चला फिर भि लगता हैं आप आएगे हमको आपना बनाएगे किया हुआ वादा निभाएगे आपसे हमको यह है उमीद आप इसको ना कभि टूटाएगे

आप

आप को हमने जान लिया है आगे कडबाहट दिल मैं प्यार है आपको हमने जान लिया है       आप जेसा जग मै कोइ नहीं है । आप को हमने जान लिया है       सारे गलतफेमियों को दुर कर लिया है दिल के सारे दर्द को आसूँ का रूप दे दिया है       आप को हमने जान लिया है आप के लिये कुछ करने का निर्नय कर लिया है भगवन से बात कर लिया है आप को हमने जान लिया है       आपको भि आपना मान लिया है |

छोटी छोटी चीजों से ...

छोटी छोटी चीजों से में खुस हो जाती हूँ छोटी छोटी चीजों से मैं दुखी हो जाती हूँ छोटी छोटी चीजों से मैं बोर हो जाती हूँ मेरे नाल प्यार कर पस्ताएगा मुंडया छोटी छोटी चीजों से मैं बहक जति हूँ छोटी छोटी चीजों से मैं महक जति हूँ मेरे नाल प्यार न कर पस्ताएगा मुंडया.......

कहीं खो गयि थी

कहीं खो गई थी मानों गुम हो गई थी         दुनिया से रूठ गई थी आज फिर से खिलखिलाने लगी मासूम बनने लगि सोलह साल कि ज़िंदगी जिने लगी न जाने आज क्यों एसा लगा है हवा का रूह बदलने लगा है फिर से सुनहरा पल वापस आने  लगा  हैं थमी हु़ई ज़िंदगी मानों फिर से चलने लगी कहीं खो गई थी मानों गुम हो गई थी दुनिया से रूठ गई थी आज फिर से खिलखिलाने लगी

कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं

कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं पर तेरी रूह मैं हूँ मेरि रूह मैं तु कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं पर हर साँसो मैं तु हैं कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं       हर घाडि मैं हर पल मैं बस तु हि तु हैं कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं       पर तेरे बिन मानों मैं कुच भि नहीं हर लम्हा , हर पल , हर वक़्त बस तु हि तु       कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं चाहें दुनिया मुझे कुछ भि नहीं पर तेरे बिन मानों मैं हि नहीं       कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं       कहने को मैं तेरि कुछ भि नहीं

हमारी नज़र ने यह कहा हैं............

हमारी नज़र , आज आपको तलाश रहि है दिल का कोना आज आपको तलाश रहि है न जाने आप आज क्यूँ इतना याद आ रहे है अज़ीब सा मह्सुश कर रहि हूँ , पता नहीं यह कैसा एह्सास है आप आज भी मेरे लिए खास है , पता नहीं हम आपको याद है या नहीं , पर हमारी हर सास आपकी मोहताज़ है हमारी हर सास आपकी मोहताज़ है

राक्षसों के बीच में

हमे जीना है इसी जग में इन राक्षसों कि भिड़ में हमे अपने आपको जगाना है इन राक्षसों कि भिड़ में हमे सचाई की राह पर चलना है इन राक्षसों कि भिड़ में हमे इस धरती पर सोना उगलबाना है इन राक्षसों कि भिड़ में हमे इस धरती पर अमन लाना है इन राक्षसों कि भिड़ में हम भगवान के वरदान है यह एहसास दिलाना है इन राक्षसों कि भिड़ में कभी कदम पीछे नहीं लेंगे हर बला का सामना करेंगे खुद ही खुद की शक्ति बनेंगे लेकिन वादे से कभी ना मुखरंगे ।

नोटरानी

मेरे लिए सबसे अजिज है तु जब कोइ भी काम पहले शुरु करो चहिए तु जन्म से लेकर मौत तक साथ चहिए तु क्यूँकि मुझे पता है तेरे बिना मेरी कदर नहीं तेरे बिना में कुछ भी नहीं इसलिए गुजारिश है तुझसे साथ देना मेरा जैसे दिया है हमेसा से ओ मेरी नोट रानी मुझसे कभी नहीं करना रुसवानी अगर गलती से कोइ गलती हूई हो तो भुलादेना , अपने से मुझे कभी जुदा नहीं करना

वह लम्हे

खो गई थी हसीन लम्हे आज फिर से समेट लिया है तेरी एक झलक ने दिल को सुकून दिया है , वर्षों से ढूँढ़ रहि थी जिसे आँखें मानो खुदा ने उसे हम से मिला दिया है , बहुत सारे यादें मानो आज ताजा हो गई है जेसे झिलमिल सितारों को असमान मिल गयी है सुनि आंगन को बच्चों कि किल्कारियों ने मेहफिल बना दिया है बंजर जमिन को किसने हरा भरा कर दिया है ए मेरे दोस्त तुझे मिलके दिल को सुकून आया है

नोट

नोट है सबसे प्यारी यह है सबसे ज़रुरी इसके बिना सब काम है अधूरी सब लोग है इसके आभारी लेकिन इसको तुम ना वनाना अपनी बिमारी ना ही इसके लिये वेचना अपनी ईमानदारी सही ढंग से करोगे इसका उपयोग तो यह लायेगि तुम्हारे लिए खुसाली

एड्स

आजकल एड्स   ऐसे फैल रहा है जेसे फूलों की खुसबू है चारों तरफ अपनी आवादी बढ़ा रहा है मानों धरती को तवाह करना इसका धरम है वच्चों , जवान वृद्ध को नहीं वक्स्ता सबको अपने अंदर समाता तवाईका खेल रचता हमसे हमारी जिवन ले जाता हमको सचेतन होना है इसे हाथ छुड़ाना है आओ आज हम शपथ करे कोइ भी ऐसा काम न करे जैसे एड्स हमें छु सके जैसे एड्स हमें छु सके .................. ......................

तन्हा दिल

  तन्हा दिल तन्हा सफर तन्हा उमर       फिर भि खुस हूँ यारों न किसिके जाने क गम न किसिके आने का इंतेजार       फिर भि खुस हूँ यारों खुद कि आंगन मैं खुस खुस हूँ यारों       न किसिके आगे झुकना हैं न किसिके गुरुर को सहना हैं       न किसिको खुस करने कि कोशिश करना हैं न किसिके दिल को जितना हैं       न किसिके तोर तरिके को सिखना हैं न अपने आप को बदला ने हे..       न सम्झोता से जिंदगी जिना हैं न अपने अपको तबह करना हैं       तन्हा दिल तन्हा सफर तन्हा उमर       फिर भि खुस हूँ यारों तन्हा दिल तन्हा सफर तन्हा उमर       फिर भि खुस हूँ यारों......

जज़बात

किसीको फन्ना करने से पहले उसके जगह मे खुद जाओ किसीका दिल तोड़ने से पहले उसके गहराई मे खुद जाओ किसीको रुलाने से पहले आसु के सागर मे खुद जाओ किसीका वादा तोड़ने से पहले उसके दिल के दर्द का एह्सास खुद करो अगर किसीके हो ना पाओगे कमसे कम उसे झुटी आशा मत दिया करो झुटी उमीदों से उसकी जिंदगी बरबाद न करो

टूटा हुआ मानसी

जो खुद हर पल रोते हुए जि रहे है    वह क्या दूसरों को हसाएगें जो खुद टूट कर जि रहे है    वह क्या किसीको उम्मीद की किरण दिखाएगें जो खुद ज़िंदा लाश बनगए है    वह क्या दूसरों को जीना सिखाएगें जिसने अपना वजुद खो दिया है    वह क्या किसीकी मदद करेगा    वह क्या किसीका सहारा बनेगा

अपनी पहचान

मे गुसेवाली हुँ , वेकावु हुँ , सर्फिरि हुँ लेकीन मुझे किसीसे कोइ   शिकायत नहीं क्यूँ की मुझे अपने आप पर विस्वास है जिसने मुझे बनाया है उस पर विस्वास है अगर इस जहाँ मे रहना है तो सायद मुझे इस तरह बनकर रहना है यह उसकी इच्छा है में उसको मानती हुँ तो उसकी इच्छा की कदर करना मेरा धर्म है

तुम्हारी पाखी

हम रोते रहे बिलकते रहे पर तुम न आए हम तड़पते रहे गुजारिश करते रहे फिर भि तुम न आए तुम्हे पाने कि हर कोशिश नाकमियब हुई फिर भि हम आश न छोड़े पता नहीं तुम्हे पाने कि चाह्त मैं एसे गुम गये हे खुद से दुर हो गये हैं एक अजब दुनियाँ मैं जि रहे हैं खुद मैं क्या कमियां हैं उसे खोज रहे हैं तुम्हारे आने कि रहा देख रहे हैं. एक दिन तुम्हे पाऊँगी तुम मेरे पस लौट आओगे इस आश में जी रहि हूँ.....       

ए खुदा

ए खुदा लुट गया मिट गया      तुने जो    मुझको छोड़ा मिट गया तेरे लिए ज़िंदा हुँ , तेरे लिए हुँ      ए खुदा लुट गया मिट गया तुने मुझे पहले पकडा , फिर से मुझे चलना सिखाया     फिर से मुझे यहाँ (दुनिया) मैं छोड़ा , फिर में खो गया , ए खुदा लुट गया मिट गया हर लम्हों को भुला दिया , एहसास को मिटा दिया मासुमियत को खो दिया , फिर से तुने कहा मुझे       यह सब फिर से अपने में ला यह सुनकर मिट गया   ए खुदा लुट गया , मिट गया चलते चलते खो गया खो गया.....

तुमसा बनने कि कोशिश

युही चलते चलते रुक पड़ी थी , तुमने जगा दिया फिर से अपने आप से मिला दिया फिर से , जाने कौन सा जादु है तुम्हारे बातों में , पथर कों मुरत बना दिया फिर से ,     ज़िंदेगी चलने का नाम है ,   यह एहसास दिला दिया तुमने , जाने क्यूँ फिर से एहसास दिला दिया , आज भि मुमकिन है , वर्षों से ताला पड़ा जो   मंदिर उसका खुल जाना , हर गलती में सही   कैसे   ढूंढ लेते हो , पता नहीं , हर नामुमकिन को   मुमकिन कैसे बना देते हो , इसलिए सायद मेरे चाह्त हो तुम , हर मुश्किल हर आफत हर कमजोरी के ताकत हो तुम , हर पल तुम्हारे जैसे सोच को अपनी ताकत बनाने कि एक कोसिश में लगि रहती हूँ...

मेरी बेचैनी

अपनी बेचेनि बेबसी को दबाने कि कोशिश करति हूँ ,       आँखों से अस्को को छुपाने कि कोशिश करति हूँ    अपनी तन्हाईयों से लढने कि कोशिश करति हूँ       ज़िंदेगी को अपने दम से जिना है , अपने आपको सच्चा साबित करना है     इसलिए हमेशा अलग सि दुनिया में रहती हूँ       हर नामुमकिन को मुमकिन करने में लगि रहति हूँ ,    समाज कि खोखेलेपन से निकलने कि कोशिश करति हूँ         उमिद न कभी छोड़ति हूँ , अपने आप से लढति हूँ ,   कभी गिरति हूँ , कभी संभलति हूँ , पर कोशिश ना छोड़ती हूँ , पर कोशिश ना छोड़ती हूँ ,…….

मेरी चाह्त

हमने चाहां था , पुरि ज़िंदेगि बिताने के लिए तुम्हारे साथ      तुमने दिया हमें चन्द लम्हा   हमने चाहां था गम और खुसी बिताने के लिए तुम्हारे साथ        तुमने दिया हमे खुसी   हमने चाहां था एक छोटा सा घर ,       तुमने दिया हमें आलीशान महल हमने चाहां था चलने के समुंदर क़े किनारे तुम्हारे साथ        तुमने दिया आलीशान घर ताकि मेरे पैर थक ना जाए पता नहीं छोटी खुसियों कि कदर तुम्हे क्यूँ नहीं ?    घुट घुट कर जिने का मजा तुम्हे क्यूँ पसन्द है......

एहसास

जब आसमान कि गहराई को देखति हूँ तब आपको एह्सास करति हूँ जब सागर कि गहराई को देखति हूँ तब आपको एह्सास करति हूँ जब धरति कि हरापन देखति हूँ तब आपको एह्सास करति हूँ जब फूलों को खिलता हुआ देखति हूँ तब आपको एह्सास करति हूँ जब सुरज कि किरणों को   देखति हूँ तब आपको एह्सास करति हूँ जब चांद तारों को मुस्कुराता देखती हूं तब आपको एह्सास करति हूँ जब मंदिर की घंटी बजती है तब आपको   कुछ ज्यादा एह्सास करति हूँ आप तो भगवान ही अंतर्यामी है तो बताईए ज़िंदगि मैं क्या एहसास हि सब कूछ हे ? या इससे बड़ कर   और कोइ बंधन हैं ?