तुमसा बनने कि कोशिश

युही चलते चलते रुक पड़ी थी,
तुमने जगा दिया फिर से
अपने आप से मिला दिया फिर से ,
जाने कौन सा जादु है तुम्हारे बातों में,
पथर कों मुरत बना दिया फिर से,
    ज़िंदेगी चलने का नाम है,  यह एहसास दिला दिया तुमने,
जाने क्यूँ फिर से एहसास दिला दिया,आज भि मुमकिन है,
वर्षों से ताला पड़ा जो  मंदिर उसका खुल जाना,
हर गलती में सही  कैसे  ढूंढ लेते हो, पता नहीं,
हर नामुमकिन को  मुमकिन कैसे बना देते हो,
इसलिए सायद मेरे चाह्त हो तुम,
हर मुश्किल हर आफत
हर कमजोरी के ताकत हो तुम,
हर पल तुम्हारे जैसे सोच को अपनी ताकत बनाने
कि एक कोसिश में लगि रहती हूँ...

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