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Showing posts from October, 2020

न जाने कौन सा दौर

न जाने कौन सा दौर था वो जब हम थे और तुम भी और प्यार भी था लेकिन फुरसत नहीं था हम बगीचा बनाना चाहते थे लेकिन महल बन गया हम खुस बहुत हुए थे लेकिन अब पता चला बगीचा की जगह महल कभी नहीं ले सकता है

मेरा वादा

हमसे दूर हो कर अगर तुम खुस रह सकोगे तो हमे वो भी मंजूर है लेकिन दूर रहकर अगर दुखी रहोगे तो हम हर बला से लढकर तुम्हें खुसियाँ दिलाएँगे यह बादा है हमको तुमसे

स्वतन्त्रता

यह भूमि है उन बिरों का जिनके बलबूते पर हम यहाँ खड़े है यह भूमि है उन बिरों का जिनके लिए गेहु उगले है यह भूमि है उन बिरों का जिनके लिए हम सबके आगे शीश उठाके खड़े है यह भूमि है उन बिरों का जिनके खून से धरा का रंग लाल है यह भूमि है उन बिरों का जिंहोने हमे स्वतन्त्रता दी है

तुहे मेरा पहला प्यार

हर लम्हा हर पल अब तुम्हारी याद सताती है मानो कोई आसपास रहती है तुम सामने क्यों नहीं आते हो मुझे जाने क्यों सताती हो तुम्हें तो मजा आता है पर मेरी निंद चली जाती है पल पल तेरी यादों में खोई रहती हूँ आपने आपको कभी भूल जाती हूँ अब हर पल तुम्हारे बिना मानो दुसबार है तेरे बिना एक पल भी न रहना कहता है दिल बार बार तुही मेरी पहली तमना तुहे मेरा पहला प्यार

दिल जल जाएगा

इस ज़िंदगी में दिल न लगाना कभी किसी पे न मरना दिल को आपने पास संभल के रखना कभी इसको ना किसिकों देना चाहे कुछ भी हो जाए दिल को अपने से जुदा न होने देना दिल अगर टूटता है तो बहुत दर्द होता है इसका इलाज़ हो नहीं पाता है इस लिए कहती हूँ दिल लगाना दिल जल जाएगा

बेकरार

आप बिन इस जिन्दगी का क्या है मतलब आप आ कर मेरी तन्हाईयों को दूर कीजिये एक बार मुझे मिलकर मुझे सुकून दीजिए एक ही मुराड है आपसे मिलना आशा है आप समझ पाएंगे इस नाचीस की बेदना कभी तो अपना वक़्त हमको दीजिए चाहे एक बार ही सही मुझसे मिलिए

मुझे इस्क होने लगा है

कभी में बहकने लगी हूँ कभी में महकने लगी हूँ न जाने केसे बदलने लगी हूँ क्या मुझे होने लगा है मुझे इस्क होने लगा है मेरा चैन खोने लगा है मुझे इस्क होने लगा है मेरा चैन खोने लगा है...

मंजूर

कभी हमे तुम चाहते हो कभी नहीं कभी पास आते हो कभी नहीं तुम्हारे इस रबेय को समझ पाना हमारे बस की बात नहीं साफ साफ बयान करदों तुम्हारे दिल में क्या है जो भी होगा हमे मंजूर होगा

कभी तड़प के देखो

कभी तड़प के देखो किसिके लिए फिर जान पाओगे दूरी इंसान को क्या बना देती है सब कुछ हो कर भी कितना अकेलापन महसूश होता है कभी तड़प के देखो किसिके लिए