न जाने कौन सा दौर

न जाने कौन सा दौर था वो जब हम थे और तुम भी और प्यार भी था
लेकिन फुरसत नहीं था हम बगीचा बनाना चाहते थे लेकिन महल बन गया
हम खुस बहुत हुए थे लेकिन अब पता चला बगीचा की जगह महल कभी नहीं ले सकता है

Comments

Popular posts from this blog

कोइ खास

मुबारक

तुमसे गुज़ारिश