एड्स

आजकल एड्स  ऐसे फैल रहा है
जेसे फूलों की खुसबू है
चारों तरफ अपनी आवादी बढ़ा रहा है
मानों धरती को तवाह करना इसका धरम है
वच्चों, जवान वृद्ध को नहीं वक्स्ता
सबको अपने अंदर समाता
तवाईका खेल रचता
हमसे हमारी जिवन ले जाता
हमको सचेतन होना है
इसे हाथ छुड़ाना है
आओ आज हम शपथ करे
कोइ भी ऐसा काम न करे
जैसे एड्स हमें छु सके
जैसे एड्स हमें छु सके ........................................

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