मेरी चाह्त

हमने चाहां था , पुरि ज़िंदेगि बिताने के लिए तुम्हारे साथ
     तुमने दिया हमें चन्द लम्हा
  हमने चाहां था गम और खुसी बिताने के लिए तुम्हारे साथ
       तुमने दिया हमे खुसी
  हमने चाहां था एक छोटा सा घर,
      तुमने दिया हमें आलीशान महल
हमने चाहां था चलने के समुंदर क़े किनारे तुम्हारे साथ
       तुमने दिया आलीशान घर ताकि मेरे पैर थक ना जाए
पता नहीं छोटी खुसियों कि कदर तुम्हे क्यूँ नहीं?
   घुट घुट कर जिने का मजा तुम्हे क्यूँ पसन्द है......

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