तुम्हारी पाखी

हम रोते रहे बिलकते रहे पर तुम न आए
हम तड़पते रहे गुजारिश करते रहे फिर भि तुम न आए
तुम्हे पाने कि हर कोशिश नाकमियब हुई
फिर भि हम आश न छोड़े
पता नहीं तुम्हे पाने कि चाह्त मैं एसे गुम गये हे खुद से दुर हो गये हैं
एक अजब दुनियाँ मैं जि रहे हैं
खुद मैं क्या कमियां हैं उसे खोज रहे हैं
तुम्हारे आने कि रहा देख रहे हैं.
एक दिन तुम्हे पाऊँगी तुम मेरे पस लौट आओगे इस आश में जी रहि हूँ.....      

Comments

Popular posts from this blog

कोइ खास

मुबारक

तुमसे गुज़ारिश