चाहत

   मुझे पता है आप मुझे बहुत चाह्ते हें
लेकिन आप मेरे सामने इसे कुबुल नहीं करते हैं
आप अकेले में आहे भरते हें
किसीको कहने से क्यूँ कतराते है
जानती हूँ में आप मुझे चाह्ते है
फिर भी क्यूँ हमेशा बात घुमाकर कहते है
सबकुछ जानकर अनजाने बनजाते
जाने आप क्यूँ एसा करते है

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