स्वार्थी
मेरी मोहबत का मुझे एहसास तब हुआ जब तुम किसी और के हो चुके थो
तुम्हें मेरी याद तब आइ जब तुम उसे उब चुके थे
तुम्हें मेरी मोहबत का एहसास था पर तुम स्वार्थी बन गए
अब मुझे भी बनाने की कोशिस में लगे हो
पर में तुम जेसी नहीं
मेरी खुसी के खातिर किसी और से उसका अधिकार छिन नहीं सकोंगी
आज भी तुमसे प्यार है लेकिन स्वार्थी तभी नहीं थी आज भी नहीं हूँ....
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