लम्हा

हर घड़ी सोचती हूँ तुम्हे
हर लम्हा पुजती हूँ तुम्हे
लेकिन तुम कैसे पथर हो
जो इस दिल को समझ नहीं पाते हो
अगर तुम इस दिल को समझोगे नहीं
तो इस दिल को कहानी किसे सुनाउंगी

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