मुशफिर
चलने वाले मुसफिर कभि रुकना नहीं
खुदा कि कसम कभि रुकना नहीं
चाहें आए कोइ भि बहार
तुझे करना हे उसको पार
अगर इरादा बुलंद हो
मन मैं पुरि जोश हो
न कोइ रोक सकेगा तुम्हे
न कोइ टोक सकेगा तुम्हे
भोरोसा करो खुदा पर
वोहि राह दिख लाएगा तुम्हे
होगे तुम कमियाब
दुनिया कि इस चमन में.....
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