महफिल
दुनिआ कि इस महफिल मैं
कोइ नहीं अपनी बात सुनने बाला
कोइ नहीं दिलासा देने बाला
कोइ नहीं शिकबा सहने बाला
कोइ नहीं मोहाबत करने बाला
कोइ नहीं जख्मो को भरने बाला
कोइ नहीं आसु पोछ्ने बाला
कोइ नहीं आपना बनाने बाला
यह दुनिआ बडी मतलबी है
सब यहाँ स्वार्थी है
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