चाहने का इरादा

तुम्हे मन ही मन में चाहती हूँ
तुम्हे मन ही मन पुजती हूँ
तुम्हे मन ही मन अपना सबकुछ मान चुकी हूँ
लेकिन तुम जब सामने आते हो
में कुछ कह नहीं पाति
तुमहारी आंखो में खो जाति हूँ
तुम्हारि मुस्कान में फिदा हो जाति हूँ
में तुम्हें जब सामने देखती हूँ
एक अजीब सी दुनिया में खो जाति हूँ
मुझे अलग सा मेह्सुस होने लगता है
मेरे रोम रोम मे अजीव सा नशा छा जाता है
अगर इसको प्यार कह्ते हैं
तो मुझे तुमसे वेपनाह मोहाब्बत है

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