मोहाब्ब्त कि जुबा

कोई कह्ता है मोहाब्ब्त फुल है
कोई कह्ता है काँटों का दामन
कोई कह्ता है खुसिया है
कोई कह्ता है ग़मों क समुंदर
कोई कह्ता है सब कुछ मिलता है
कोई कह्ता है सबकुछ खो जाता है
कोई कह्ता है यह आकर हवा कि तरह चला जाता है
कोई कह्ता है जनम जनम का रिश्ता है
कोई कह्ता है यह सुरज जेसा चमकता है
कोई कह्ता है चांद से भी ज्यादा कलंक है
कोई कह्ता है धरती पर जनत का एह्सास दिलाती
कोई कह्ता है धरती पर जहनुम है
कोई कह्ता है इमली जैसा खटा है
कोई कह्ता है गुल से मिठा है
कोई कह्ता है प्यासा कोयल है
कोई कह्ता है वहती झरना है
कोई कह्ता है यह झूट,मकार,बेवफाइ होती है
कोई कह्ता है सच के बुनियाद पर खड़ी होती है
कैसे कहाँ में किसके बात पर कर यंकि
हर एक की हर बात में मुझे नज़र आती है नेकी

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