हर पल
हर पल रोते हुए जि रही हूँ
हर आसूँ को छिपाने की कोशिश कर रही हूँ
हर एक गम को अपने अंदर समाने की कोशिश मे हूँ
लेकिन यह सब कर नहीं सकती
क्यूँकि मेरे अभिमान स्वभाब छोड़ नहीं सकती
इतना दुख पाने के बाद
कैसे में जि रही हूँ
यह सिर्फ मुझको पता है
कैसे ग़मों को सिनेपे दवाकर जी रही हूँ
मुझको ही पता है
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