हमेशा तुम
हमेशा दुख को अंदर रखकर
सुखि होने का छलाबा करते हो
हमेशा दर्द होते हुए
खुसि रहने का छ्लाबा करते हो
हमेशा आँसूँ छूपाकर
मुस्कुराहट का छलबा करते हो
हमेशा सबकुछ जानकर
अंजाना होने का छलाबा
करते हो
हमेशा सबकुछ याद रख कर
भुलजाने का छलाबा करते हो
क्यों हमेशा इस तरह से छलाबा करते हो
किसि और के आगे यह सब ठीक है
लेकिन मेरे सामने यह ठीक नहीं
क्यों कि मैं तुम्हारे रग रग से रुबरु हूँ
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