अनजाना

दुनिया कि इस महफिल में
पता नहीं यह आँखें किसे ढूँड्ता है?
लगता है मेरे आसपास है
फिर भी दिखाई नहीं देता है
लगता है उसका मेरा जनम जनम का रिश्ता है
इसलिए दुरिया भी नजदीकियां लगती है
वह पास न होते हुए भी पास होनेका एहसास दिलाती है
वह कुछ होठों से न कहकर इशारों से जाहिर करता है
पता नहीं वह कौन है
बिना देखे बिना जाने
जिसके लिए मेरे होंठों पे हाँ है
उसका मुझे कबसे इंतज़ार है

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