चाहत का नसा
हम तुमको चाहने लगे थे इस कदर
जमाने से दुर हो गइ थी नज़र
ना पता था हमको सुबह का था शाम का
ना पता था दिन या महीनों का
हम है तुम्हारे दिबानी
अपना सब कुछ तुम पे लुटाने लगे थे
अछा हुआ तुम बेवफा बन गए
आधी रास्ते मे मेरा हाथ छोड़ चल दिए
फिर से मे चली आई आपने जग मे
लेकिन बहुत सारे गम को साथ ले आई
जिना अब मौत की तरह लगता है
यह सिर्फ तुमको धुंड्ता है
पता नहीं कब मौत
आकर गले से लगजाए
उस दिन का इंतज़ार है मुझे
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