हसीनों का दीबाना

हसीनों के नखरे ज्यादा होति है
जाने एसा क्यों करते है
नाम पूछो तो मुस्कुराओ
बह घुर घुर के तुम्को देखती है
चलते है तूफां कि तरह
बातें उनकि आग कि तरह
निगाहों कि बार से घायल करती है
कभि हसाती है कभि रुलति है
फिर भि हसीनों को दिल धुड्ता है
उनके लिए दिल पागल है
हर नखरे को झेलता है
उनके लिए दीबाना है....

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