तुम क्या हो

तुम मुझे मरते हो लेकिन कुछ नहीं कहते हो
कैसे इंसान हो तुम
तुम छुपकर खत लिखा करते हो लेकिन दे नहीं पाते हो
कैसे इनसान हो तुम
मेरे गलियों से गुजरते हो, मेरे घरको देखते हो फिर भी घर में आकर कुछ पूछते नहीं
कैसे इनसान हो तुम?

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