चाहत

हर पल हर लम्हा मे तुम हो
हर ख्वाब हर सपने में तुम हो
मेरे दिल दिमाग मे बसगए हो
मेरे तन मन में तुम समागए हो
हर एक चीज़ में तुम नज़र आते हो
हर जगह में बस तुम ही तुम हो
इस कदर में तुम्हे चाहने लगी हूँ
अपने आप को भूलने लगी हूँ
क्या करूँ इस दिल का
ए खुदा तूही बता

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