साए

कभी तेरे साए को कोई छूता था तो आग लग जाती थी
आज करोड़ों में तू बंट गया है आग आज भी लगती है
फर्क़ सिर्फ इतना हो गया तभी आखों से बरसति थी
आज होठों से बरसति है

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