बचपन से सुनते आये हैं असत्य पर सत्य का विजय होगा एक राजा घुड़सबर पे आयेगा और दरिंदो को दंड देगा सबकी जिंदगी में खुसालि लायेगा , तड़पते बिखरते लोगों कि पुकार सुनेगा , अमन और शांति का झंडा उड़ाएगा धरती मैं फेलि गंदगी को अपने हाथों से मिटाएगा , जरुरत पड़ेगी तो परशुराम बन जायेगा , जरुरत पड़ेगी तो महात्मा भि बन जायेगा । लगता है वह दिन पास है जब फिर से दुनिया कुरुखेत्त्र देखेगि अन्याय पर न्याय का विजय पंचजन्य से सुनेगी.. फिर से एक नया युग का आरंभ होगा.... जिसमें सिर्फ और सिर्फ साम्यबादत का राज होगा...
मुबारक हो तुमको जनम दिन तुम्हारा दुआ करती हूँ भगबान से दुआ करती हूँ लगजाए तुम्हे मेरी उमर मनाना तुम हर साल अपना जनम दिन मगर उसके चौखट पर जाना मत भुलजाना दुआ करती हूँ उनसे दुनिया की सारी खुसियाँ वो तुम्हे दे जितने गम तुम्हारे तकदीर में है मुझे दे तुम्हारे खुसिययों के आगे इस ज़िंदेगि क कोई मोल नहीं अगर तुम्हारे लिए यह ज़िंदेगि को त्याग देती हूँ तो सायद आपके कुछ कर्ज़ को चुका सकती हूँ इसके लिए भगवान मुझे जरुर एक मौका देना
मेरी मोहबत का मुझे एहसास तब हुआ जब तुम किसी और के हो चुके थो तुम्हें मेरी याद तब आइ जब तुम उसे उब चुके थे तुम्हें मेरी मोहबत का एहसास था पर तुम स्वार्थी बन गए अब मुझे भी बनाने की कोशिस में लगे हो पर में तुम जेसी नहीं मेरी खुसी के खातिर किसी और से उसका अधिकार छिन नहीं सकोंगी आज भी तुमसे प्यार है लेकिन स्वार्थी तभी नहीं थी आज भी नहीं हूँ....
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